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Toggleशरीर के हर अंग के अपने कुछ roles है और सभी अंग हमारे शरीर रुपी system को रेगुलेट करने में अपनी अपनी जगह बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे ही महिलाओं के ‘reproductive system’ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला अंग है गर्भाशय (uterus).
गर्भाशय न केवल गर्भधारण की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, बल्कि यह महिलाओं के सम्पूर्ण स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है।
लेकिन कई बार uterus अर्थात गर्भाशय में कुछ समस्याएं हो जाती हैं, और ऐसी ही एक समस्या है ‘Bulky Uterus’।
आपको जानकर हैरानी होगी कि नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के रिसर्च के अनुसार, uterine fibroids के कारण 226 मिलियन से ज्यादा महिलाओं में bulky uterus की समस्या देखी गई थी।
हालांकि ‘Bulky Uterus’ का कोई निश्चित कारण नहीं है और साधारणतः ये प्रेगनेंसी (pregnancy) के दिनों में देखा जाता है पर कुछ अन्य गभीर स्थितियों में भी Bulky Uterus की समस्या हो सकती है। जिसके कारण महिलाओं को पीरियड्स की अनियमितता, अत्यधिक दर्द, लम्बे समय तक ब्लीडिंग, और fertility में कमी आदि समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
इस blog के द्वारा हम विस्तार से जानेंगे कि ‘Bulky Uterus’ क्या होता है, क्यों होता है, Bulky Uterus के लक्षण, तथा बल्कि यूटेरस के उपचार (Bulky Uterus Treatment in Hindi) क्या हैं।
बल्कि यूटेरस क्या होता है?

Bulky Uterus अर्थात Uterus का भारी होना और आकार सामान्य से बड़ा हो जाना। जब गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है या उसमे सूजन आ जाती है तो गर्भाशय में भारीपन महसूस होता है और इस condition को ‘Bulky Uterus’ के नाम से जाना जाता है। हालाँकि uterus का आकार सामान्यतः महिलाओं की उम्र और शारीरिक संरचना के हिसाब से अलग अलग हो सकता है परन्तु फिर भी अधिकतर महिलाओं में uterus का वजन 30-40 ग्राम होता है। गर्भाशय का भारी होना या Bulky Uterus गर्भावस्था है या नहीं इस बात पर भी निर्भर करता है क्योंकि pregnancy के दौरान बच्चे के गर्भ में पलने के लिए Uterus का वजन 1 kg तक और आकार दोनों बढ़ जाते हैं।
हालांकि Pregnancy में Bulky Uterus होना आम है परन्तु इसके अतिरिक्त भी कई अन्य कारणों जैसे एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis), फाइब्रॉयड (fibroids), या हार्मोनल असंतुलन के कारण भी Bulky Uterus की समस्या हो सकती है जो कि साधारण नहीं है।
ये शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
बल्कि यूटेरस गर्भधारण की संभावनाओं को कैसे प्रभावित करता है?
Uterus का आकार बढ़ना या फिर भारी होना सिर्फ uterus को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि इसके गर्भधारण की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसके कुछ निम्नलिखित कारण हैं।
1. गर्भाशय की संरचना में बदलाव:
Bulky Uterus होने की अवस्था में या गर्भाशय का आकार बढने की अवस्था में गर्भाशय का संरचना पूरी तरह बदल जाती है और ऐसे में भ्रूण को ठीक से विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती।
संभवतः ये गर्भधारण की संभावनाओं को भी प्रभावित करता है।
2. Fallopian Tube पर दबाव:
जब uterus का आकार असामान्य रूप से बढ़ जाता है तो उसके आस पास मौजूद अंगो पर भी प्रभाव पड़ने लगता है जैसे कि Fallopian Tube.
Fallopain Tube पर दबाव पड़ने के कारण अंडाणु और शुक्राणु के मिलन में समस्या हो सकती है जिससे pregnancy के chances कम हो जाते हैं।
3. Endometrium की समस्या:
Bulky Uterus होने की अवस्था में गर्भाशय की आंतरिक दीवार अर्थात Endometrium में असामान्य बदलाव होते हैं जिससे भ्रूण का implantation प्रभावित होता है।
यूटेरस बल्कि क्यों होता है?
सामन्यतः गर्भावस्था के दौरान uterus bulky होता है परन्तु इसके अतिरिक्त भी कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से Bulky Uterus की समस्या देखी जाती है।
1. Ovarian Cyst:
ओवेरियन सिस्ट्स यानि अंडाशय में बनने वाली तरल पदार्थ से भरी थैलियाँ, जो अधिकतर हार्मोनल असंतुलन के कारण बनती हैं।
इस हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से कई बार महिला को एक ही समय पर ovarian cysts और bulky uterus दोनों की समस्या हो सकती है।
हालांकि देखा जाए तो ओवेरियन सिस्ट्स और bulky uterus का सीधा संबंध नहीं होता, लेकिन underlying hormonal गड़बड़ी के कारण ये दोनों स्थितियाँ एक साथ देखी जा सकती हैं।
2. PCOS:
PCOS का एक प्रमुख कारण hormonal imbalance है जिसमे अंडाशय में कई cyst बन जाती है और इन्ही hormonal गड़बड़ी के कारण गर्भाशय का आकार असामान्य हो सकता है।
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3. Perimenopause:
Perimenopause अर्थात ऐसी अवस्था जिसमे बढती हुई age के साथ hormones में कई तरह के बदलाव होते हैं जिसके कारण Uterus का आकार बढ़ने लगता है।
4. Fibroids:
Fibroids अर्थात गर्भाशय में होने वाली गांठे जो Uterus की स्थिति में बढ़ोतरी कर सकते हैं। ये अक्सर hormonal imbalance के कारण होती हैं जो कि भारी मासिक धर्म, पेट के निचले हिस्से में दबाव और बार बार पेशाब जैसी समस्याएं पैदा क्र सकती है।
5: Adenomyosis:
जब गर्भाशय की आंतरिक परत अर्थात Endometrium, गर्भाशय की मांसपेशियों के अन्दर बढ़ने लगती है तो ये condition Adenomyosis कहलाती है।
Adenomyosis Bulky Uterus का एक प्रमुख कारण है। इस अवस्था में heavy bleeding, पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द, पेट में भारीपन आदि महसूस होने लगता है।
6. PID (Pelvic Inflammatory Disease):
PID अर्थात reproductive सिस्टम (pelvic region) में होने वाला संक्रमण। Bulky Uterus होने के साथ साथ PID के कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार और असामान्य रक्तस्त्राव की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।
बल्कि यूटेरस के लक्षण
हालांकि Bulky Uterus एक अंदरूनी समस्या है परन्तु यदि ध्यान दिया जाए तो ऐसे कुछ साधारण लक्षण हैं जिनके माध्यम से ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि कहीं आपको Bulky Uterus की समस्या तो नहीं।
चलिए जानते हैं कि वो कौन कौनसे लक्षण हैं जिनसे आप bulky uterus का पता लगा सकते हैं।
1. पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग।
2. पेट के निचले हिस्से में दर्द होना या भारीपन महसूस होना।
3. पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द होना।
4. पेट का अकार बढना जैसे गर्भवती होने पर होता है।
5. बार बार पेशाब की इच्छा होना।
6. Physical relations बनाने में समस्याएं होना।
7. प्रजनन क्षमता में कमी होना।
8. कमर तथा पैरों में दर्द।
9. Dyspareunia अर्थात Sexual Intercourse के दौरान दर्द होना।
10. Body में लम्बे समय तक pain, paleness, और weekness महसूस होना।

बल्कि यूटेरस के उपचार (Bulky Uterus Treatment in Hindi)
Bulky Uterus कोई गंभीर समस्या नहीं है परन्तु यदि इसका इलाज समय रहते न किया जाये तो ये अन्य कई समस्याओं जैसे इनफर्टिलिटी (infertility), heavy bleeding, painful periods आदि का कारण बन सकती है। Bulky Uterus के treatments इसके लक्षण और इस समस्या की गंभीरता पर निर्भर करते हैं।
बल्कि यूटेरस के उपचार (Bulky Uterus Treatment in Hindi) आपकी ये जानने में मदद करेंगे कि doctors कैसे स्थिति के अनुसारआपकी इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
1. दवाइयां (Medications):
यदि Bulky Uterus का कारण हार्मोनल असंतुलन है तो उन्हें balance करने के लिए हार्मोनल थेरेपी (hormonal therapy) जैसे birth control pills दी जाती है। इसके अलावा दर्द और सूजन को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाइयां दी जाती हैं।
इसके अतिरिक्त कई cases में संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स भी दी जाती है।
2. सर्जरी (Surgery):
यदि स्थिति गंभीर हो या ‘Bulky Uterus’ का कारण गंभीर हो जैसे फाइब्रॉयड या एंडोमेट्रिओसिस की समस्या तो डॉक्टर्स द्वारा surgery का परामर्श दिया जाता है।
- मायोमेक्टॉमी (Myomectomy): फाइब्रॉयड को हटाने के लिए।
- हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy): गंभीर मामलों में गर्भाशय को पूरी तरह से हटाना।
3. Lifestyle में बदलाव:
Doctors द्वारा Medicines और Surgery का परामर्श तब दिया जाता है जब स्थिति गंभीर हो।
इसके अतिरिक्त यदि आप Bulky Uterus की समस्या का समय रहते पता लगा लें तो आप अपनी lifestyle और खान-पान में साधारण से बदलाव करके भी Bulky Uterus की समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
- नियमित व्यायाम करें।
- संतुलित आहार लें।
- तनाव कम करें।
गर्भधारण के दौरान uterus का bulky होना natural है परन्तु इसके अतिरिक्त ये आपके लिए कई समस्याओं का कारण बन सकता है।
इस ब्लॉग के द्वारा आपने विस्तार से जाना कि Bulky Uterus क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं, और इसके उपचार क्या क्या हैं (Bulky Uterus Treatment in Hindi)।
Bulky Uterus अपने आप में एक समस्या न होकर अन्य कई समस्याओं के कारण उत्पन्न होते वाली स्थिति है जो यदि लम्बे समय तक बनी रहे तो आपकी fertility को भी प्रभावित कर सकती है। छोटे छोटे लक्षणों पर ध्यान देकर और सही जानकारी से bulky uterus की समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है।
परन्तु फिर भी यदि आपकी समस्या गंभीर हो और आप आप इस सम्बन्ध में और अधिक जानकारी या treatment चाहते हैं तो एक बार विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
Aastha Fertility Care की विशेषज्ञ टीम न सिर्फ आपकी मदद करेगी बल्कि आपके parenthood के dream को भी पूरा करने में आपको guidance देगी।
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