आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच का अंतर क्या है जानिए
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Dr. Namita Kotia has been practicing infertility treatment at Aastha Fertility Care since 2010, and during this time, she has helped around 2000+ couples become parents through IVF treatment and also other assisted reproductive technology (ART) methods like ICSI, IUI, GIFT, etc. Dr. Namita provides her patients with the best possible care and treatment options.
आईवीएफ तकनीक ने चिकित्सा जगत में एक क्रन्तिकारी पहल की है | जो जोड़े सालों तक निसंतानता या बांझपन के कारन माँ बाप बनने के सुख से वंचित थे उनके लिए IVF ट्रीटमेंट एक वरदान के रूप में सामने आया है | अक्सर जब जोड़े फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में जानना चाहते है तब वे IVF और Test Tube Baby को लेकर थोड़ा कंफ्यूज हो जाते है |
बहुत से लोग ये सोचते है की Test Tube Baby और IVF एक ही ट्रीटमेंट के 2 अलग अलग नाम है | लेकिन कुछ लोगों को लगता है की IVF और Test Tube Baby अलग अलग ट्रीटमेंट है | लेकिन सच्चाई क्या है इसके बारे में लोगों को सही जानकारी नहीं है | अगर आपको भी आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच का अंतर नहीं पता है तो इस लेख को पूरा पढ़ें |

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क्या आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी में अंतर है ?
इसका एक शब्द में जवाब लिखा जाये तो जवाब है “नहीं” | आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी एक ही तरह का Fertility उपचार है और इन दोनों में कोई भी अंतर नहीं है | आज जिसे हम IVF Treatment के रूप में जानते है उसे पहले Test Tube Baby के रूप में जाना जाता था | Test Tube Baby यानि की IVF के द्वारा सबसे पहले ब्रिटेन में 1978 में बच्चे का जन्म हुआ था जिसका नाम लुइस ब्राउन रखा गया था |
IVF को विकसित करने में दो महान लोगों का योगदान है जिनमें एक वैज्ञानिक थे जिनका नाम रोबर्ट एडवर्ड्स था और दूसरे व्यक्ति एक डॉक्टर थे जिनका नाम पेट्रिक स्ट्रेपो था | इसके बाद भारत में भी IVF तकनीक के द्वारा एक बच्ची को पैदा करने में सफलता मिली थी जिसका नाम दुर्गा रखा गया | 2018 में हुई एक रिसर्च में यह सामने आया है की IVF और अन्य सहायक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के द्वारा 80 लाख के लगभग बच्चे पैदा हुए थे |
आईवीएफ ट्रीटमेंट की जरुरत क्यों हुई ?
दुनिया में जितने भी आविष्कार हुए है वो सभी किसी ना किसी जरुरत के कारण होते है| कहा गया है की किसी औरत के लिए माँ बनना सबसे बड़ा सुख है लेकिन कई बार कुछ ऐसी शारीरिक परेशानी होती है जिसके वजह से जोड़े बच्चे को जन्म नहीं दे पाते है | निसंतता की वजह महिला या पुरुष दोनों हो सकते है | दोनों में किसी तरह की शारीरिक कमी निसंतता का कारन हो सकती है ऐसे में डॉक्टर कृत्रिम गर्भाधान का सुझाव देते है |
सामान्य रूप से बच्चों के जन्म के लिए महिला के अंडाशय में अंडो का निर्माण होता है | अंडो का निर्माण होने के बाद एक परिपक्व अंडा गर्भाशय ग्रीवा से होता हुआ फ़ैलोपिन ट्यूब में जाता है | सेक्स के दौरान पुरुष का शुक्राणु जब महिला की फ़ैलोपिन ट्यूब में जाकर उस अंडे को निषेचित करता है | जब अंडा निषेचित हो जाता है तो वह फ़ैलोपिन से गर्भाशय में आकर गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित हो जाता है | इस अवस्था में यह भ्रूण कहलाता है |
फ़ैलोपिन ट्यूब में रूकावट के लिए आईवीएफ उपचार समाधान
बहुत से मामलों में जब महिला की फ़ैलोपिन ट्यूब में किसी तरह की रूकावट आ जाती है ऐसे में शुक्राणु अंडो तक नहीं पहुंच पाते है जिसकी वजह से निषेचन नहीं हो पाता है और महिला गर्भवती नहीं हो पाती है | इस अवस्था में Doctor IVF ट्रीटमेंट की सलाह देते है |
महिला के फ़ैलोपिन Tyube में रूकावट आने पर आईवीएफ यानि की In Vetro Fertilization किया जाता है जिसे की कृत्रिम गर्भाधान कहा जाता है | इसे कृत्रिम गर्भाधान इसलिए कहा जाता है क्योकिं इस प्रजनन प्रोसेस में अंडे से शुक्राणु का निषेचन प्राकृतिक रूप से ना होकर शरीर के बाहर एक लैब में किया जाता है |
जिन महिलाओं को फ़ैलोपिन ट्यूब रूकावट की दिक्कत होती है उन महिलाओं में से IVF तकनीक के द्वारा योनिद्वार से एक सिरिंज भेजकर Failopin Tube में से अंडो को प्राप्त किया जाता है | और फिर पुरुष साथी से शुक्राणु को प्राप्त किया जाता है | और शुक्राणु को साफ़ करके उन्हें लैब के अंदर एक तरल पदार्थ में महिला के अंडो से निषेचित करवाया जाता है |
अंडा निषेचित हो जाता है तब उसे कुछ दिन लैब में ही रखा जाता है और देखरेख की जाती है |जब अंडा सही तरह से बढ़ने लगता है ऐसे में एक खोखली ट्यूब द्वारा उसे महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है | और इस तरह महिला को कृत्रिम गर्भधान करवाया जाता है |
शुक्राणुओं की संख्या में कमी या गुणवत्ता में कमी होने पर आईवीएफ उपचार
निसंतता का कारण पुरुष भी हो सकते है , जिन पुरुषों में शुक्राणु की कमी होती है या शुक्राणु की क्वालिटी खराब होती है ऐसे में वो शुक्राणु प्राकृतिक रूप से अंडो से निषेचित नहीं हो पाते है | इस परिस्थिति में Doctors IVF ट्रीटमेंट के द्वारा संतान प्राप्ति में सहायता करते है | IVF उपचार से पहले पुरुष के Sperm की क्वालिटी को जांचा जाता है |
फिर उसके बाद डॉक्टर हार्मोनल ट्रीटमेंट दे सकते है जिसके द्वारा पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जाती है | डॉक्टर पुरुष साथी के शुक्राणु को लेकर उन्हें साफ़ करते है और अच्छी क्वालिटी के शुक्राणु को लैब में महिला के अंडो से निषेचित करते है और उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित करते है | कुछ मामलों में जिनमें शुक्राणु बहुत कम मात्रा में बनते है ऐसी परिस्थित में डॉक्टर सीधे सिरिंज द्वारा पुरुष के वृषण से शुक्राणु प्राप्त करते है और उन्हें अंडो से निषेचित करवाते है |
जिन पुरुषों में शुक्राणु बिलकुल भी नहीं बनते है ऐसे में किसी डोनर पुरुष द्वारा शुक्राणु लेकर अंडो से निषेचित करवाया जाता है |
अंडाशय में किसी तरह की समस्या होने पर आईवीएफ उपचार
संतानोत्पत्ति के लिए सबसे पहले महिला के अंडाशय में अंडो का परिपक्व होना जरुरी है | यदि महिला के गर्भाशय में अंडो का निर्माण नहीं हो पा रहा है ऐसे में निषेचन होने में समस्या हो सकती है | इस परिस्थिति में डॉक्टर महिला को हार्मोनल इंजेक्शन की सलाह देते है | यह इंजेक्शन 7 से लेकर 15 दिन तक लगाए जाते है | इनके कारन अंडाशय में उर्वरकता बढ़ती है और अधिक अंडो का उत्पादन हो पाता है | अधिक अंडो को प्राप्त होने से IVF की सफलता दर भी बढ़ जाती है |
निष्कर्ष
आईवीएफ उपचार कृतिम गर्भधान के लिए एक बेहतरीन विकल्प है | इसके द्वारा निसंतान जोड़े संतान प्राप्त कर सकते है | आस्था फर्टिलिटी एक ऐसा फर्टिलिटी सेण्टर है जहाँ पर उचित परामर्श के साथ ही सफल उपचार किया जाता है | यदि आप भी अपने बच्चे की चाहत को पूरा करना चाहते है तो आज ही आस्था फर्टिलिटी सेण्टर आकर अपने सपनो को पूरा कर सकते है |
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