IVF फेल होने के कारण क्या है जानिए विस्तार से 

IVF के द्वारा संतान प्राप्त करने के लिए किया गया Treatment सफल होगा या नहीं इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है | IVF एक ऐसा Fertility Treatment है, जिसने निराश जोड़ों की जिंदगी में संतान सुख देकर उजाला किया है | लेकिन विज्ञान के बहुत तरक्की कर लेने के बावजूद आज भी IVF Treatment की कुछ सीमाएं है, जिससे आगे वह भी उस process को कर पाने में सक्षम नहीं है और इसके कारन कई बार IVF Treatment fail भी हो जाते है |  आज हम इस ब्लॉग में जानेंगे की ivf फेल होने के कारन क्या है | 

IVF फेल होने के क्या कारण है? 

IVF एक बहुत ही विश्वसनीय फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है, जिसमें विवाहित जोड़े की शारीरिक समस्याओं के कारण प्रेगनेंसी की रूकावट को दूर किया जाता है और संतान प्राप्ति को संभव बनाया जाता है | लेकिन कई बार कुछ समस्याओं के कारण IVF सफल नहीं हो पाता है | आइये जानते है IVF फेल होने के कारणों के बारे में – 

शुक्राणुओं की कमी 

जब पुरुष में शुक्राणुओं की काउंट में कमी या शुक्राणुओं की गतिशीलता ( motility ) कम होती है तो ऐसे में IVF उपचार के द्वारा पुरुष से शुक्राणु प्राप्त कर अंडो को निषेचित किया जाता है | यदि शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी है तो लैब में अंडे निषेचित तो हो जाते है लेकिन उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं होती है ऐसे में IVF सफल नहीं हो पाता है | 

अंडो की बेहतर क्वालिटी का ना होना 

IVF उपचार में महिला के फ़ैलोपिन ट्यूब से अंडे प्राप्त किये जाते है लेकिन यदि वे सही क्वालिटी के नहीं है तो निषेचन के बाद जब उन्हें गर्भाशय में स्थापित किया जाता है तो वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते है और इसकी वजह से IVF प्रक्रिया फेल हो जाती है | 

अंडे का सही तरह निषेचन ना हो पाना 

यदि आपने जहाँ पर अपना फर्टिलिटी ट्रीटमेंट करवाया है, वहां पर अंडे का सही तरह से निषेचन नहीं हो पाया है तो इसकी वजह से भी IVF प्रक्रिया फेल हो जाती है | 

भ्रूण का सही तरह से विकसित हुए बिना गर्भाशय में प्रत्यारोपण 

लैब में अंडे को शुक्राणु से निषेचित करवाने के बाद उसे डॉक्टर की देखरेख में रखा जाता है | यदि उस समय भ्रूण सही तरह से विकसित नहीं होता है और उसे गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया गया है तो यह भ्रूण भी सही तरह से आगे की Process नहीं कर पाता है जिसकी वजह से ivf treatment फेल हो जाता है | 

भ्रूण का गर्भाशय की दिवार से प्रत्यारोपित ना हो पाना 

अंडे को शुक्राणु से लैब में निषेचित करवाना उसके बाद लैब में उसे 2 से 3 दिन रखा जाता है जहाँ पर यह देखा जाता है की जो अंडे को निषेचित करवाया गया है वह सही तरह से विकसित हो रहा है या नहीं | सही तरह से विकसित होने के बाद उसे गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है | 

यदि गर्भाशय में आने के बाद वह अंडा गर्भाशय की दिवार से चिपक नहीं पाता है या प्रत्यारोपित नहीं हो पाता है तो ऐसे में IVF ट्रीटमेंट सफल नहीं हो पाता है | गर्भाशय की दीवार से निषेचित अंडे का चिपकना यह पूरी तरह प्राकृतिक रूप से होता है और अभी तक ऐसी कोई भी तकनीक नहीं बनी है जो की कृत्रिम तरीके से इसे संभव बना पाए |  

आराम ना करना 

IVF ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टर 15 दिन के बिलकुल आराम की सलाह देते है | लेकिन यदि महिला इन दिनों में अधिक शारीरिक श्रम कर लेती है तो यह भी IVF के फेल होने का कारण बन सकता है | इसलिए IVF के बाद डॉक्टर के बताये गए समय के साथ आराम करें | 

निष्कर्ष

IVF Treatment की सफलता के लिए यह जरुरी है की आप एक अच्छा फर्टिलिटी Treatment Center चुने जहाँ पर IVF के लिए जरुरी आधुनिक चिकित्सा उपकरण एवं तकनीक हो | एवं जहाँ के डॉक्टर को IVF का अच्छा अनुभव हो | ऐसे में आपके IVF की सफलता की सम्भावना भी अधिक हो जाती है |

आस्था फर्टिलिटी सेण्टर देश के बेहतरीन IVF सेण्टर में से एक है जहाँ पर मरीज को एक अच्छे माहौल में बेस्ट ट्रीटमेंट प्रदान किया जाता है |  यहाँ IVF की सफलता को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए सही फर्टिलिटी सहायक उपचारों को किया जाता है | 

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Dr Namita Kotia

Dr. Namita Kotia (IVF specialist in Jaipur) attained her Master’s in Obstetrics and Gynecology from S.N. Medical College, Jodhpur affiliated to University of Rajasthan in 1997. She has more than 10 years experience in field of Assisted Reproductive Technology (ART). Presently at Aastha Fertility Care Dr. Namita along with her team is providing complete infertility work up and treatment options under one roof. Her aim is to provide proper guidance and treatment to Infertile couples at AFFORDABLE RATES. She is life member of Indian Academy of Human Reproduction (IAHR), Indian Society for Assisted Reproduction (ISAR), Federation of Obstetrics and Gynecology Society of India (FOGSI) and Jaipur Obstetrics Gynecology Society (JOGS). She has a number of publications in various journals and presentations at state and National level conferences to her credit. Dr. Namita is also recipient of best paper presentation viz “Diagnosis of Congenital Mullerian anomalies by three dimensional Transvaginal Sonography” awarded at “Kishori” Conference in Jodhpur (2000).

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