आईवीएफ कब करवाना चाहिए?  

जब एक कपल कई वर्षों से बच्चे के लिए प्रयास करता है और बहुत कोशिश के बाद भी pregnency cansive करने में सफलता नहीं मिलती है तो ऐसे में कपल परेशान हो जाते है और ऐसे में उनके परिवारजन, दोस्त, परिचित, रिशतेदार उन्हें IVF की सलाह देते है | ऐसे में अधिकांश जोड़ों के मन में यह सवाल आता है की उन्हें आईवीएफ कब करवाना चाहिए ? लोगों की इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए हम आपके सभी सवालों के जवाब इस लेख में देने का प्रयास करेंगें | 

यदि आप infertility की समस्या से परेशान है इसका मतलब यह नहीं है की IVF ही आपकी समस्या का समाधान है | Infertility से परेशान बहुत से जोड़े केवल मेडिसिन के द्वारा ही प्रेगनेंसी कंसीव करने में सफल हो जाते है | 

प्रेगनेंसी के लिए कंसीव ना हो पाना 

यदि आप लम्बे समय से प्रयास कर रहे है लेकिन प्रेगनेंसी कंसीव करने में सफलता नहीं मिल रही है तो ऐसे में आपको अधिक समय नहीं गंवाना चाहिए और जाकर अपने IVF कंसल्टेंट से बात करनी चाहिए | इसके बाद आपके कुछ Test किये जाते है और उसके बाद आपको IVF फर्टिलिटी ट्रीटमेंट या अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का सुझाव दिया जाता है | 

महिलाओं के अंडाशय में अंडे के के परिपक्व नहीं होने पर 

प्रेगनेंसी कंसीव करने के लिए सबसे जरुरी है महिला के अंडाशय में अंडो का सही तरह से परिपक्व होना | प्रत्येक पीरियड सायकल के बीच में महिला के अंडाशय से एक फॉलिकल परिपक्व होता है और परिपक्व होने के बाद वह फ़ैलोपिन ट्यूब के द्वारा गर्भाशय तक पहुँचता है | लेकिन कुछ महिलाओं में अंडे सही तरह से परिपक्व नहीं हो पाते है | ऐसे में IVF प्रक्रिया में stimulation injection दिए जाते है जिनके द्वारा फॉलिकल परिपक्व होकर रेप्चर होते है |  इसलिए जिन महिलाओं में अंडे सही तरह से नहीं बन पा रहे है तो उन्हें IVF की सलाह दी जाती है | 

पुरुषों में शुक्राणु की कमी होने पर 

सही तरह से निषेचन के लिए पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या का सही होना जरुरी है | क्योंकि जब पुरुष में शुक्राणु की संख्या अच्छी होती है तभी वह इंटरकोर्स के बाद योनिमार्ग से होते हुए गर्भाशय और फ़ैलोपिन ट्यूब तक पहुंचते है और अण्डों को निषेचित करते है |  लेकिन अंडो तक पहुंचने की यह यात्रा बहुत मुश्किल होती है और कुछ ही शुक्राणु अंडो तक पहुंच पाते है और उनमें से एक शुक्राणु अंडे को निषेचित करता है और प्रेगनेंसी कंसीव हो पाती है | लेकिन कुछ पुरुषों में सही मात्रा में शुक्राणु नहीं बन पाते है इसके लिए जीवनशैली और उम्र का भी प्रभाव होता है | ऐसे में IUI और IVF ट्रीटमेंट द्वारा पुरुष के शुक्राणु प्राप्त किये जाते है और उनका उपयोग महिला के अंडाशय से प्राप्त अण्डों को निषेचित किया जाता है | 

पुरुषों के शुक्राणु की मोटिलिटी रेट अच्छी नहीं होने पर 

निषेचन के लिए शुक्राणुओं की संख्या के साथ ही उनकी गतिशीलता यानि की मोटिलिटी रेट भी फर्टिलाइजेशन को प्रभावित करती है | यदि पुरुषों के शुक्राणु की संख्या तो अच्छी है लेकिन उनमें गतिशीलता नहीं है तो ऐसे में वह अंडे तक नहीं पहुंच पाते है और प्राकृतिक रूप से निषेचन नहीं हो पाता है | ऐसे में IVF ट्रीटमेंट  के द्वारा डॉक्टर शुक्राणु को प्राप्त कर उन्हें साफ़ करते है और उनमें से स्वस्थ शुक्राणुओं से अंडो का निषेचन किया जाता है |  

महिला के फ़ैलोपिन ट्यूब में समस्या होने पर 

जब अंडा परिपक्व होकर फॉलिकल से अलग होता है तो गर्भाशय तक पहुंचने के लिए वह एक नली जिसे की फ़ैलोपिन ट्यूब कहा जाता है उससे होकर गुजरता है | इस फ़ैलोपिन ट्यूब में यह अंडा 2 से 3 दिन तक रहता है जहाँ पर पुरुष के शुक्राणु से इनका निषेचन होता है | लेकिन कुछ महिलाओं के फ़ैलोपिन में कोई समस्या या रूकावट होती है तो ऐसे में यह अंडा ना तो गर्भाशय तक पहुंच पाता है और ना ही शुक्राणु इन अंडो तक पहुंच पाता है | 

इस स्थिति में डॉक्टर लेप्रोस्कोपी द्वारा इसका उपचार करते है एवं IVF प्रक्रिया द्वारा अंडाशय से सीधा अंडा प्राप्त कर और लैब में उसे शुक्राणु से निषेचित करवाकर गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है | जिससे फ़ैलोपिन ट्यूब की समस्या होने पर भी प्रेगनेंसी कंसीव करने में सफलता प्राप्त की जाती है | 

बड़ी उम्र होने पर 

आजकल कैरियर बनाने या अन्य कारणों से कुछ कपल लेट शादी करते है ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ AMH लेवल कम होता जाता है | इस स्तिति में प्राकृतिक तौर पर प्रेगनेंसी कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है | ऐसे में डॉक्टर्स IVF की सलाह देते है | 

कैंसर की कीमोथेरपी होने पर 

यदि किसी महिला को कैंसर है तो ऐसी अवस्था में उन्हें कीमोथेरपी लेनी होती है | ऐसी स्थिति में कीमोथेरपी लेने से पहले IVF के द्वारा अंडे प्राप्त किये जाते है और उन्हें प्रीजर्व कर लिया जाता है | कैंसर ट्रीटमेंट पूरा होने पर उन प्रिजर्व अंडो से शुक्राणु को लैब में निषेचित करवाने के बाद उन्हें IVF प्रक्रिया के द्वारा गर्भाशय में छोड़ा जाता है | जिससे प्रेगनेंसी कंसीव कर पाते है | 

IUI के असफल हो जाने पर 

IVF की तरह ही IUI भी एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट होता है जिसमें पुरुष से शुक्राणु प्राप्त करके उन्हें साफ़ किया जाता है और उन्हें सीधा गर्भाशय में छोड़ा जाता है | लेकिन कई बार इसमें सफलता मिल जाती है और कई बार असफलता हाथ लगती है ऐसे में यदि बार बार IUI सफल नहीं हो रहा है तो ऐसे में IVF विकल्प अपनाने के लिए आपके फर्टिलिटी डॉक्टर सुझाव देते है | 

निष्कर्ष 

हम आशा करते है की आईवीएफ कब करवाना चाहिए इसका जवाब आपको मिल गया होगा | IVF एक बेस्ट फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसके द्वारा आज कई विवाहित जोड़े अपने बच्चों के साथ सुखी जीवन बिता रहे है | यदि आप भी IVF ट्रीटमेंट के बारे में सोच रहे है तो आस्था फर्टिलिटी आइये | जहाँ पर आपको मिलती है अत्याधुनिक तकनीक के साथ IVF उपचार की सुविधा | हमारे विशेषज्ञ डॉक्टर आपकी IVF की सफलता को अधिकतम बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करते है | 

Dr Namita Kotia

Dr Namita Kotia

Dr. Namita Kotia (IVF specialist in Jaipur) attained her Master’s in Obstetrics and Gynecology from S.N. Medical College, Jodhpur affiliated to University of Rajasthan in 1997. She has more than 10 years experience in field of Assisted Reproductive Technology (ART).Presently at Aastha Fertility Care Dr. Namita along with her team is providing complete infertility work up and treatment options under one roof. Her aim is to provide proper guidance and treatment to Infertile couples at AFFORDABLE RATES.She is life member of Indian Academy of Human Reproduction (IAHR), Indian Society for Assisted Reproduction (ISAR), Federation of Obstetrics and Gynecology Society of India (FOGSI) and Jaipur Obstetrics Gynecology Society (JOGS). She has a number of publications in various journals and presentations at state and National level conferences to her credit.Dr. Namita is also recipient of best paper presentation viz “Diagnosis of Congenital Mullerian anomalies by three dimensional Transvaginal Sonography” awarded at “Kishori” Conference in Jodhpur (2000).

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