आईवीएफ से पहले गर्भाशयदर्शन के लाभ क्या है जानिए विस्तार से

निसंतान दम्पत्तियों के लिए IVF द्वारा उपचार आज सबसे सफल फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के रूप में जाना जाता है | यह एक कृत्रिम गर्भाधान विधि है, जिसमें महिला से अंडे और पुरुष से शुक्राणु प्राप्त कर उन्हें निषेचन करवाकर भ्रूण को सीधे ही गर्भाशय में रखा जाता है | अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की तुलना में इसमें सफलता की संभावना भी अधिक होती है | लेकिन कुछ मामलों में IVF उपचार भी असफल हो जाते है | IVF ट्रीटमेंट की ज्यादातर प्रोसेस को लैब में ही संपन्न कर लिया जाता है | लेकिन जब भ्रूण को गर्भावस्था में रखा जाता है तो उस समय यदि गर्भाशय में किसी तरह की समस्या होती है तो वह भ्रूण गर्भाशय से आरोपित नहीं हो पाता है | 

ऐसे में इस तरह की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर आईवीएफ से पहले गर्भाशयदर्शन ( hysteroscopy ) की सलाह देते है | गर्भाशयदर्शन यानि की hysteroscopy क्या होती है और आईवीएफ से पहले गर्भाशयदर्शन के लाभ क्या क्या है आइये जानते है | 

गर्भाशयदर्शन ( Hysteroscopy ) क्या है ? 

गर्भाशय की समस्यायों को देखने और उपचार करने के लिए गर्भाशयदर्शन ( Hysteroscopy ) का उपयोग किया जाता है | Hysteroscopy में एक यंत्र होता ही जिसके आगे एक कैमरा लगा होता है जो की कंप्यूटर से जुड़ा होता है | यह यंत्र बहुत ही पतला और लचीला होता है | इसे योनि मार्ग से महिला की गर्भाशय में भेजा जाता है और यह देखा जाता है की गर्भाशय में किस तरह की समस्या है | 

Hysteroscopy द्वारा गर्भाशय में क्या जाँच की जाती है ?

IVF की सफलता को अधिकतम करने के लिए डॉक्टर IVF ट्रीटमेंट से पहले गर्भाशयदर्शन (Hysteroscopy) के द्वारा गर्भाशय की स्थिति और उसकी समस्या को जाँच लेते है | यदि महिला को कुछ खास समस्या है तो IVF ट्रीटमेंट फेल हो सकता है ऐसे में इन स्थितियों के होने पर hysteroscopy के द्वारा जांच की जाती है | आइये जानते है उन कारणों के बारे में जिनके लिए ivf से पहले गर्भाशयदर्शन के द्वारा गर्भाशय की जाँच की जाती है – 

  • यदि महिला को अनियमित माहवारी हो | 
  • यदि बांझपन की समस्या हो | 
  • गर्भाशय की सर्जरी से पहले | 
  • पॉलिप्स का ईलाज करने के लिए | 

ये वे कारन है जिनकी वजह से IVF उपचार असफल हो सकते है ऐसे में डॉक्टर ivf से पहले जांच करके इन समस्याओ का उपचार कर IVF की सक्सेस रेट को अधिकतम कर सकते है | 

गर्भाशयदर्शन (Hysteroscopy ) कितने प्रकार की होती है 

Hysteroscopy 2 प्रकार की होती है –

  1. डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी 
  2. ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी 

डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोप  – 

डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी में गर्भाशय की स्थिति को डायग्नोस यानि की जांचा जाता है | इस प्रोसेस द्वारा पता लगाया जाता है की गर्भाशय में किस तरह की समस्या है | 

ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी 

ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी में गर्भाशय की बीमारियों का उपचार किया जाता है | इसमें कुछ खास उपकरणों द्वारा गर्भाशय की सर्जरी की जाती है | 

हिस्टेरोस्कोपी की प्रक्रिया किस तरह से होती है 

हिस्टेरोस्कोपी प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज को इस पूरी प्रक्रिया के दौरान दर्द ना हो इसलिए एनेस्थिया दिया जाता है | इससे वह खास हिस्सा सुन्न हो जाता है | एक डिवाइस को योनि के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा से होते हुए गर्भाशय तक पहुंचाया जाता है | इसके बाद सर्जन अंदर की स्थिति को अच्छे से देख सके इसके लिए इसमें कार्बन डाई ओक्ससाइड के द्वारा गर्भाशय को फुलाया जाता है | इसके बाद गर्भाशय में पोलिप्स को हटाने के लिए ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी का उपयोग किया जाता है | इसके अलावा अन्य गर्भाशय सबंधी विकारों को भी हिस्टेरोस्कोपी के द्वारा उपचार किया जाता है | 

आवीएफ से पहले गर्भाशयदर्शन ( हिस्टेरोस्कोपी )  के लाभ 

आईवीएफ से पहले गर्भाशयदर्शन के द्वारा गर्भाशय की स्थिति को जाँच कर यह पता लगाया जाता है की गर्भाशय में किस तरह की समस्या है | इसके बाद ऑपरेटिव गर्भाशयदर्शन के द्वारा पोलिप्स हटाने एवं अन्य विकारों को दूर किया जाता है | यह जांच की आसान विधि है और इसमें अधिक समय नहीं लगता है और इसमें दर्द और अन्य परेशानियों का खतरा भी कम होता है | 

आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी की हानियां 

हिस्टेरोस्कोपी बहुत ही सुरक्षित प्रोसेस है लेकिन कुछ मामलों में इसकी वजह से कुछ समस्याएं दिख सकती है जो की निम्न है – 

  • गर्भाशय में छेद होना | 
  • गर्भाशय में घाव या किसी तरह का इन्फेक्शन हो जाना | 
  • कुछ दिन तक रक्तस्त्राव होना | 
  • एनेस्थीसिया की वजह से किसी तरह का रिएक्शन होना | 

निष्कर्ष 

आईवीएफ से पहले हिस्टेरोस्कोपी के द्वारा गर्भधारण की सक्सेस रेट को बढ़ाया जाता है | यह मरीज की गर्भाशय को डायग्नोस करने की एक अच्छी विधि है | लेकिन इसे करवाने से पहले आपको सही IVF सेण्टर का चुनाव करना चाहिए | आस्था फर्टिलिटी IVF के लिए एक बहुत ही उत्तम विकल्प है | यहाँ का स्टाफ और माहौल आपको आरामदायक स्थिति प्रदान करते है | यहाँ पर विशेषज्ञ डॉक्टर्स द्वारा निशुल्क परामर्श प्राप्त करने के लिए अपना अपॉइनमेंट बुक करें

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Dr Namita Kotia

Dr. Namita Kotia (IVF specialist in Jaipur) attained her Master’s in Obstetrics and Gynecology from S.N. Medical College, Jodhpur affiliated to University of Rajasthan in 1997. She has more than 10 years experience in field of Assisted Reproductive Technology (ART). Presently at Aastha Fertility Care Dr. Namita along with her team is providing complete infertility work up and treatment options under one roof. Her aim is to provide proper guidance and treatment to Infertile couples at AFFORDABLE RATES. She is life member of Indian Academy of Human Reproduction (IAHR), Indian Society for Assisted Reproduction (ISAR), Federation of Obstetrics and Gynecology Society of India (FOGSI) and Jaipur Obstetrics Gynecology Society (JOGS). She has a number of publications in various journals and presentations at state and National level conferences to her credit. Dr. Namita is also recipient of best paper presentation viz “Diagnosis of Congenital Mullerian anomalies by three dimensional Transvaginal Sonography” awarded at “Kishori” Conference in Jodhpur (2000).

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