शुक्राणु की कमी के लक्षण, कारण एवं उपचार 

Pregnancy के लिए केवल पुरुषों के एक शुक्राणु को महिला के अंडाणु को निषेचित करना होता है लेकिन इस शुक्राणु को अंडाणु तक पहुंचने के लिए बहुत प्रयत्न करने होते है | शुक्राणु की यह यात्रा  बहुत कठिन होती है और उसे अंडाणु तक पहुंचने में कई तरह की बाधा आती है इसलिए लाखों शुक्राणु अपनी यात्रा शुरू करते है लेकिन अपने अंतिम goal तक केवल एक शुक्राणु ही पहुंच पाता है | इसलिए पुरुष में शुक्राणु की जितनी अधिक संख्या होती है Pregnancy की सम्भावना भी उतनी ही अधिक हो जाती है | 

लेकिन आज के समय बहुत से पुरुषों को शुक्राणु की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके वजह से उन्हें अपने बच्चों की ख़ुशी नहीं मिल पा रही है | बहुत से पुरुषों को तो इसके बारे में पता ही नहीं होता और वह बच्चा नहीं होने का दोष अपने पार्टनर को देते रहते है| लेकिन यदि Pregnency नहीं हो पा रही है, तो यह दोनों partner में से किसी की भी कमी के कारण हो सकता है | 

आज हम Detail से जानेंगे की पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी के लक्षण, कारण एवं उनके उपचारों के बारे में | 

शुक्राणु की कमी क्या है ? 

जब पुरुष महिला के साथ सहवास करता है और उसके लिंग में से निकले वीर्य में शुक्राणु की कमी होना | पुरुष के 1 लीटर वीर्य में 15 मिलियन की संख्या को सही माना जाता है और यदि इससे कम संख्या में शुक्राणु है तो उसे वीर्य में शुक्राणु की कमी के रूप में माना जाता है | वीर्य में शुक्राणुओं की कमी को  Medical Language में ओलिगोस्पर्मिया कहते है | कुछ मामलों में यदि पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु बिलकुल नहीं है तो ऐसी स्थिति को Medical Language में एजुस्पर्मिया कहते है | 

पुरुषों में शुक्राणु की कमी के लक्षण क्या है ? 

कोई भी बीमारी हो हमारा शरीर उसके अनुसार लक्षण दिखाने लगता है जिससे पता चल जाता है की व्यक्ति के शरीर में किस तरह की बीमारी है | यदि उन लक्षणों को ध्यान में रखकर समय पर उपचार कर लिया जाये तो व्यक्ति उस बीमारी से राहत पा सकता है | शरीर में शुक्राणु की कमी होने पर भी शरीर में कुछ खास लक्षण दिखाई देने लगते है आइये जानते है उनके बारे में – 

  • यदि बिना कंडोम के कोई व्यक्ति 1 साल से बच्चा पैदा करने के लिए प्रयास कर रहे है लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है तो इसका एक बड़ा कारण शरीर में शुक्राणुओं की कमी हो सकती है | 
  • यदि व्यक्ति को यौन क्रिया में अनिच्छा होने लगे तो इसका भी एक कारन शरीर में शुक्राणु की कमी हो सकता है | 
  • Testicul यानि की वृषण के बगल में यदि सूजन और दर्द होने लगे | 
  • शुक्रणओं की कमी से शरीर पर बाल झड़ने लगते है और शरीर पर और सर पर बाल कम होने लग जाते है | 
  • सेक्स करते समय कम मात्रा में वीर्य का स्खलन | 
  • सूंघने की शक्ति कम होने लगती है | 
  • यदि मेडिकल जांच में पाया जाये की वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु निकल रहे है तो यह भी शुक्राणु की कमी है | 
  • लिंग स्तम्भन में कमी

शुक्राणु की कमी के कारण 

शरीर में शुक्राणु के लक्षण के बारे में आपने जान लिया है लेकिन शुक्राणुओं की कमी क्यों होती है इसके पीछे क्या कारण होते है यह जानना भी बहुत जरुरी है | 

ख़राब जीवन शैली 

  • यदि कोई व्यक्ति रोजाना शराब और तम्बाकू जैसी वस्तुओं का सेवन करता है शुक्राणु की संख्या में कमी हो सकती है | 
  • Drugs और अन्य नशीले पदार्थो का सेवन करने में शुक्राणुओं का उत्पादन कम हो जाता है | 
  • असमय खानपान और शारीरिक निष्क्रियता से बढे मोटापे के कारण भी शुक्राणु की संख्या में कमी आती है | 
  • यदि कोई व्यक्ति अधिक तनाव में रहता है तो उसे शुक्राणु की कमी का सामना करना पड़ सकता है | 
  • वजन के असंतुलन के कारन भी शुक्राणु की कमी हो सकती है | 
  • गर्म पानी में नहाने या देर तक गर्म पानी में रहने से वृषण को नुकसान पहुँचता है और शुक्राणुओं के उत्पादन में कमी आती है | 

चिकित्स्कीय कारण 

  • कई मामलों में यदि व्यक्ति के पैदा होने के समय उसके दोनों वृषण या एक वृषण पेट से अंडकोष में नहीं पहुंच पाता है तो ऐसे मामलों में व्यक्ति के शुक्राणु उत्पदान में कमी होती है | 
  • यदि यौन संचरित रोग या मूत्र पथ में किसी तरह का संक्रमण है तो भी शुक्राणु का उत्पादन कम हो सकता है | 
  • बहुत से मामलो में पाया गया है की वृषण से निकलने वाली जो नलिकाएं लिंग तक वीर्य को लेकर जाती है यदि उनमें सूजन रहती है तो इससे शुक्राणुओं में कमी आती है | 
  • यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से कैंसर आदि की दवाएं ले रहा है या उसका कीमोथैरपी का ईलाज चला है तो इसका प्रभाव उसके शुक्राणुओं के उत्पादन पर पड़ सकता है | 

शुक्राणु की कमी के लिए उपचार 

प्रयास करें

जब भी आपके सामने शुक्राणु की कमी की समस्या आती है तो ऐसे में doctor आपको सलाह देते है की आपको अपने पार्टनर के साथ गर्भधारण के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए | हां इसमें आपको समय लग सकता है लेकिन स्वभाविक तौर पर इससे सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है | अधिकांश मामलों में 1 से 2 सालों में सफलता मिल जाती है | 

आप नीचे दिए गए तरीकों से अपने पार्टनर के गर्भधारण की सम्भावना को अधिकतम कर सकते है – 

  • तम्बाकू, सिगरेट और शराब आदि का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें| 
  • रोजाना Exercise  करें और शारीरिक रूप से सक्रीय रहे | 
  • संतुलित और पोषक आहार करें | 
  • 2 से 3 दिनों के अंतराल में सेक्स करें | 
  • तनाव से दूर रहे | 

IVF Treatment  with ICSI 

शुक्राणु की कमी होने पर उपचार के लिए आप अपने पार्टनर के गर्भधारण की सम्भावना को बढ़ाने के लिए IVF Treatment ले सकते है | इस प्रक्रिया में आपकी महिला पार्टनर से परिपक्व अंडो को लेकर उन्हें Lab में आपके शुक्राणु के साथ Fertilize किया जाता है | एक बार जब अंडे शुक्राणुओं से निषेचित हो जाते है तो उन्हें वापस से महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है | 

वैसे तो IVF की सफलता की दर अधिक है लेकिन अगर इसके साथ ICSI या इंट्रोसैप्टोप्लासिम स्पर्म इंजेक्शन के साथ मिलाकर पुरुषों में होने वाली शुक्राणुओं की कमी पर भी गर्भधारण की सम्भावना को बढ़ाया जाता है | ICSI की Process में पुरुष के शुक्राणुओं में से एक सबसे healty और Strong शुक्राणु को अलग करके उससे अंडे को निषेचित किया जाता है |   जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी है उनके लिए IVF के साथ ICSI एक सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है | 

Antibiotic Treatment 

कुछ मामलों में पुरुषों में शुक्राणु की कमी किसी संक्रमण की वजह से हो सकती है और उसे दुरी किया जा सकता है | संक्रमण के कारण शुक्राणु के उत्पादन और उनके स्वास्थ्य में रूकावट डालते है और शुक्राणु के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते है | ऐसी परिस्थिति में आप antibiotic Treatment ले सकते है यह आपके संक्रमण को दूर कर आपके शुक्राणुओं के उत्पादन और उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है | कुछ मामलों में शुक्राणुओं पर स्थाई रूप से प्रभाव पड़ता है ऐसे में Doctors आपको अन्य Treatment की सलाह दे सकते है | 

Hormonal Treatment 

यदि किसी व्यक्ति में शुक्राणु पैदा करने वाले Pituitary hormones का level Low होता है तो ऐसे में IVF के साथ ICSI द्वारा उपचार से पहले आप hormonal treatment भी ले सकते है | इसमें पुरुषों को Harmonal Injection देकर उपचार किया जाता है | जिससे पुरुष पार्टनर में स्वभाविक रूप से शुक्राणुओं की संख्या बढ़ सके और महिला पार्टनर स्वभाविक रूप से गर्भधारण कर सके | 

Surgery 

जिन पुरुषों को शुक्राणु की कमी की समस्या है वे पुरुष इसके लिए Sargey का चुनाव कर सकते है | Surgery में Sperm के Transport में आने वाली रूकावट को surgery द्वारा दूर किया जाता है जिससे शुक्राणुओं आसानी से जा पाते है | 

Doner के शुक्राणु द्वारा गर्भधारण

अगर ऊपर दिए गए सभी उपाय अपनाने के बावजूद अगर पुरुष में शुक्राणु का उत्पादन नहीं हो रहा है तो ऐसी स्थिति में अंतिम उपाय Donar के शुक्राणुओं द्वारा गर्भधारण करना है | आज के समय में बहुत से Sperm बैंक है जहाँ पर उत्तम Quality के Sperm को स्टोर करके रखा जाता है | जहाँ पर व्यक्ति की सभी जांच होने के बाद ही उसके sperm को दिया जाता है | वहां पर आप Sperm डोनर की Profile देख सकते है उसके बाद ही सही चुनाव करते हुए Sperm पा सकते है और गर्भधारण कर सकते है | 

अंतिम निष्कर्ष 

बच्चे  की किलकारी घर में गूंजे यह हर एक माँ बाप की चाहत होती है | शुक्राणु की कमी से बच्चे के पैदा होने में आपके सामने यदि रूकावट आ रही है तो आप आस्था फर्टिलिटी केंद्र जयपुर में आकर IVF तकनीक द्वारा अपने बच्चे की चाहत को पूरा कर सकते है | यहाँ विशेषज्ञ Doctar द्वारा उपचार से पहले आपकी समस्या को समझते हुए उपयुक्त उपचार की सलाह दी जाती है, और doctors की निगरानी में पूरा उपचार किया जाता है | यहाँ पर IVF द्वारा सफलता की दर बहुत अच्छी है, और शुक्राणु की कमी से सबंधित समस्या को समझते हुए सही उपचार किया जाता है |

Picture of Dr Namita Kotia

Dr Namita Kotia

Dr. Namita Kotia (IVF specialist in Jaipur) attained her Master’s in Obstetrics and Gynecology from S.N. Medical College, Jodhpur affiliated to University of Rajasthan in 1997. She has more than 10 years experience in field of Assisted Reproductive Technology (ART). Presently at Aastha Fertility Care Dr. Namita along with her team is providing complete infertility work up and treatment options under one roof. Her aim is to provide proper guidance and treatment to Infertile couples at AFFORDABLE RATES. She is life member of Indian Academy of Human Reproduction (IAHR), Indian Society for Assisted Reproduction (ISAR), Federation of Obstetrics and Gynecology Society of India (FOGSI) and Jaipur Obstetrics Gynecology Society (JOGS). She has a number of publications in various journals and presentations at state and National level conferences to her credit. Dr. Namita is also recipient of best paper presentation viz “Diagnosis of Congenital Mullerian anomalies by three dimensional Transvaginal Sonography” awarded at “Kishori” Conference in Jodhpur (2000).

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