IUI Treatment से गर्भधारण – IUI Treatment in Hindi

सभी महिलाओं की तरह माँ बनने की चाहत कई वर्षों से मेरे दिल में थी लेकिन शादी के 8 साल बाद भी बच्चे की चाहत पूरी नहीं हो पा रही थी | 

कई बार ऐसा लगता था की शायद बच्चा हमारी किस्मत में ही नहीं है | मेरे पति भी बहुत Tension में रहते थे | कई बार भगवान से पूछती थी की हमें ही इतनी बड़ी सजा क्यों दी है | 

हमने बहुत से Doctors से Treatment लिए लेकिन कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा था | अंत में हमारे एक मिलने वाले ने हमें Aastha fertility के बारे में बताया | 

हमने वहां पहुंचकर डॉक्टर नमिता कोटिआ से बात की | उन्होंने हमारी पूरी कहानी सुनी और हमें IUI Treatment की सलाह दी | उन्होंने बताया IUI Treatment के द्वारा कई जोड़ों की बच्चे की चाहत पूरी हुई है | और आप भी इस आसान Tretment के द्वारा माँ बन सकती है | 

मुझे डॉक्टर ने जिस तरह समझाया उससे मेरे मन में एक उम्मीद की किरण जगी | और मैंने और मेरे पति ने IUI Treatment का निर्णय लिया | साथ ही उन्होंने मुझे IUI treatment क्या होता है और IUI tretment कब करवाना चाहिए, IUI Treatment की Process और IUI Treatment की सफलता दर क्या है इसके बारे में विस्तार से बताया | 

IUI Treatment क्या है ?

IUI की full form Intrauterine insemination  होती है, यह एक Fertility Treatment है|  IUI Treatment में Sperm को साफ़ करके उनमें से अच्छी गुणवत्ता वाले शुक्राणु को एक एक खास सिरिंज के द्वारा महिला के गर्भाशय में रखा जाता है जिससे अंडाणु से निषेचित होने की सम्भावना बढ़ जाती है | 

प्राकृतिक गर्भधारण में शुक्राणु यानि की Sperm महिला की योनि के रस्ते से गर्भाशय ग्रीवा और Fallopian tubes से गर्भाशय तक जाते है | जब किसी महिला के गर्भाशय के मुहं यानि की cervix में कोई परेशानी के चलते वह खुल नहीं पाता है जिससे की शुक्राणु अंदर नहीं जा पाते है ऐसे में IUI Treatment द्वारा उपचार किया जाता है और Sperm को direct गर्भाशय में डाला जाता है | 

इसे भी देखें – IVF क्या होता है ?

IUI Treatment की Process 

डॉक्टर ने मुझे पहले ही आश्वश्त कर दिया था की यह एक साधारण Process है और इसमें ज्यादा समय नहीं लगता है | treatment की Process के लिए पहले डॉक्टर ने मुझे कुछ Medical Test करवाने के लिए कहा | मेरे पति ने अपना सीमन टेस्ट करवाया जिससे जाँच में यह पता चला की उनके शुक्राणु में कमी है या नहीं | कई मामलों में यदि पुरुषों के शुक्राणु बनने की क्षमता में कमी होती है तो कुछ  उपचार से उन्हें दूर किया जाता है | और यदि शुक्राणु नहीं बनते है तो ऐसी समस्या में donar के द्वारा भी शुक्राणु को लेकर महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है | 

खुशकिस्मती से इन्हें शुक्राणु की ऐसी कोई समस्या नहीं थी | इसके बाद Doctar के कहने पर मैंने अपना Ultrasound करवाया | जिससे Doctor को यह जानने में मदद मिली की मेरे गर्भाशय में अंडो की संख्या की क्या स्थिति है और इसके अलावा उनका विकास की क्या Process है इसके बारे में वह जान पाए | 

IUI Treatment IVF की तुलना में एक कम खर्चीला और आसान उपचार है | बच्चा नहीं होने की स्थित में डॉक्टर IVF Treatment से पहले IUI उफ़्कार की सलाह देते है | अपने पुरुष साथी के Sperm के द्वारा IUI एक सफल उपचार पद्धति है | कुछ विशेष मामलों में डॉक्टर्स IUI उफ़्कार की सलाह देते है | आइये जानते है उन खास स्थितियों के बारे में – 

  • यदि Cervix या Cervical Mucus के साथ समस्या हो | 
  • शुक्राणुओं की संख्या में कमी होने पर | 
  • ऐसा बाँझपन जिसके कारण के बारे में स्पष्ट जानकारी ना हो | 
  • यदि कोई Single महिला माँ बनना चाहती है | 
  • माइल्ड एंडोमेट्रोसिस की समस्या होने पर | 

IUI Treatment कैसे करते है – 

IUI से जुडी सभी जांचे होने के बाद Doctor ने मुझे एक निश्चित दिन की Appointment दे दी | मैं और मेरे पति नियत तारीख को Doctor के पास पहुंच गए | मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था लेकिन Doctor ने मुझे बताया बताया की IUI एक आसान Tretment Process है और इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है | मेरे Husband भी मेरे साथ आये थे| उन्होंने  अपना Sperm जमा करवाया और मेरे पास आकर बैठ गए उनके साथ होने से मुझे हिम्मत रही | Treatment Room में क्या क्या किया गया यह Doctor ने पहले ही मुझे बता दिया था | आप भी जान लीजिये इस Importent जानकारी के बारे में – 

  • IUI प्रक्रिया आसान है और इसमें किसी तरह का खतरा नहीं होता इसलिए इसमें Patient को anesthesia देने की जरुरत नहीं होती है | 
  • इस Process में Doctor आपके पार्टनर के अच्छी तरीके से साफ़ किये गए गुणवत्ता युक्त Sperm को एक पतली Tube  के द्वारा महिला के योनि मार्ग से गर्भाशय ग्रीवा से होते हुए गर्भाशय में रखते है | 
  • गर्भाशय में शुक्राणु को रख  देने के बाद Fertility के लिए महिला को 20 से 30 मिनिट तक इसी स्थिति में लेटे रहना होता है | वैसे तो यह एक सामान्य स्थिति है इसमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन कुछ महिलाओं को IUI Treatment के दौरान पेट में ऐठन और योनि से रक्तस्त्राव हो सकता है | 
  • IUI Process के लिए एक या अधिक बार इस Process को किया जा सकता है | 
  • IUI Treatment हो जाने के बाद आप 2 से 3 सप्ताह बाद अपना Pregnancy Test कर सकती है | 

सौभाग्य से मुझे पहली बार में ही IUI के उपचार से सफलता मिल गयी लेकिन आपको यदि पहली बार में IUI treatment से सफलता नहीं मिली है तो आप दोबारा प्रयास कर सकते है | यह एक बहुत अच्छा और आसान treatment है आज मैं और मेरे पति आस्था फर्टिलिटी केंद्र जयपुरऔर यहाँ के Doctors और Staff को बहुत धन्यवाद करते है जहाँ पर हमें इतना अच्छा Tretment प्रदान किया गया | 

यह कहानी विजया शर्मा जी की है जिन्होंने Aastha Fertility के बेहतरीन IUI Treatment द्वारा अपने बच्चे की चाहत को पूरा किया | IUI Treatment के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारी website पर Visit कर सकते है |  यहाँ पर आपको doctar के परामर्श के बाद सही देखभाल के साथ उत्तम उपचार किया जाता है | धन्यवाद | 

Picture of Dr Namita Kotia

Dr Namita Kotia

Dr. Namita Kotia (IVF specialist in Jaipur) attained her Master’s in Obstetrics and Gynecology from S.N. Medical College, Jodhpur affiliated to University of Rajasthan in 1997. She has more than 10 years experience in field of Assisted Reproductive Technology (ART).Presently at Aastha Fertility Care Dr. Namita along with her team is providing complete infertility work up and treatment options under one roof. Her aim is to provide proper guidance and treatment to Infertile couples at AFFORDABLE RATES.She is life member of Indian Academy of Human Reproduction (IAHR), Indian Society for Assisted Reproduction (ISAR), Federation of Obstetrics and Gynecology Society of India (FOGSI) and Jaipur Obstetrics Gynecology Society (JOGS). She has a number of publications in various journals and presentations at state and National level conferences to her credit.Dr. Namita is also recipient of best paper presentation viz “Diagnosis of Congenital Mullerian anomalies by three dimensional Transvaginal Sonography” awarded at “Kishori” Conference in Jodhpur (2000).

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